भोपाल/हरदा. यहां जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने शुक्रवार को एक आदेश जारी किया है। इसमें नसबंदी कराने वाले अध्यापकों को तय दिनांक से ग्रीनकार्ड वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाएगा। इस आदेश में मई 2019 में लोक शिक्षण संचालनालय, भोपाल से जारी आदेश का हवाला भी दिया गया। शुक्रवार को डीईओ ने डीपीसी जिला शिक्षा केंद्र, प्राचार्य डाइट बागरुल, बीईओ हरदा, खिरकिया, टिमरनी सभी संकुल प्राचार्य हाई और हायर सेकंडरी स्कूल और तीनों विकासखंड के बीआरसी के नाम पत्र जारी किया है। इससे पहले मप्र स्वास्थ्य विभाग ने भी पुरुष नसबंदी को लेकर एक आदेश जारी किया था, जिसमें स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को पुरुष नसबंदी कराने का टारगेट दिया गया था, इसको लेकर काफी विवाद हुआ था। बाद में आदेश को वापस लेना पड़ा था।
इस आदेश में कहा गया कि 16 जून 2006 के पहले परिवार नियोजन ऑपरेशन (नसबंदी) कराने वाले और इसके बाद नसंबदी कराने वाले अध्यापकों को अग्रिम वेतन वृद्धि का लाभ मिलेगा। डीईओ ने खंड शिक्षा अधिकारियों को अध्यापकों के संबंध में जानकारी जुटाकर उन्हें अग्रिम वेतनवृद्धि का लाभ देने के लिए कहा है।
क्या है ग्रीनकार्ड वेतनवृद्धि
शासकीय कर्मचारियों को इसका लाभ 2 वेतनवृद्धि के रूप में मिलता है। इसे अग्रिम वेतनवृद्धि भी कहते हैं। किसी भी विभाग के शासकीय कर्मचारी को ग्रीनकार्ड वेतनवृद्धि का लाभ पूरे सेवाकाल के लिए मिलता है। इससे हर साल डीए में भी बढ़ोत्तरी होती है।
पुरुष नसबंदी को लेकर जारी आदेश वापस लेना पड़ा था
हफ्तेभर के लिए सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को हर महीने 5 से 10 पुरुषों के नसंबदी ऑपरेशन कराने का आदेश दिया, लेकिन जब इस पर विवाद बढ़ा तो आदेश वापस लेना पड़ा था। साथ ही राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की राज्य संचालक छवि भारद्वाज को पद से हटा दिया गया था। भारद्वाज ने आदेश में कहा था कि कर्मचारियों को टारगेट पूरा नहीं करने पर नो-वर्क, नो-पे के आधार पर वेतन नहीं दिया जाएगा। कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति भी दे दी जाएगी।
मिशन संचालक ने आदेश में ये कहा था
परिवार नियोजन के अभियान के तहत हर साल प्रदेश के जिलों को कुल आबादी के 0.6% नसबंदी ऑपरेशन का टारगेट दिया जाता है। इंदौर में यह टारगेट 22 हजार ऑपरेशन का है। कुछ जिले इसे हासिल कर भी लेते हैं, लेकिन इनमें पुरुषों की सहभागिता बहुत कम है। हाल ही में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक छवि भारद्धाज ने इस पर नाराजगी जताते हुए सभी कलेक्टर और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को पत्र लिखा था।